'M' (म) Promotion में बाधा बना- Javeed Ahmad (Ex DGP of UP)

बात कुछ पुरानी है कभी मेरे किसी ख़ास ने ,"मेरे यह कहने पर कि एक मुसलमान (M)पुलिस प्रमुख उत्तर प्रदेश में ? मेरा विरोध किया और कहा कि " जावीद जी, बहुत ईमानदार ,सज़्ज़न, कर्त्तव्य निष्ठ और कर्मठ अधिकारी हैं ". उनके हर शब्द में एक प्रकार का विश्वास था तब, और बात आयी गयी हो गयी। समय  बदला और साथ साथ  प्रदेश की सरकार भी बदली और मातहतों (जी हाँ , (रीढ़ विहीन और चाटुकार ) अधिकारियों  या लालफीताशाही को यही तो कह सकतें हैं ). और फिर से शुरू हुआ ट्रांसफर , पोस्टिंग का दौर।  जहाँ पैसे और पहुँच की ही पहुँच! होती है। लेकिन जावीद साहब अच्छे अधिकारी थे सो पद पर बने रहे। काफी समय तक रहे फिर हटा दिए गए अर्थात पदोन्नति हो गयी। कोई ख़ास बात नहीं थी सो जावीद जी ने  भी अपना नया कार्यभार सभाला और अभी व्यस्त हो गए। इधर अक्टूबर 2018 से केंद्रीय जाँच एजेंसी (CBI) में रार मच गयी, सर्वोच्च न्यायालय के हस्तकक्षेप के बाद नए CBI प्रमुख को चुनने की बात आयी तो एक नाम जावीद जी का भी था और कुल आठ नाम थे जिनमें से चयन होना था।  जावीद जी शायद यह मानकर चल रहे थे कि उन्हें ही जी ने शायद कुछ ज्यादा ही गणित  यह ताज मिलेगा। लेकिन ऋषि कुमार शुक्ल जी चुने गए जो उनसे वरिष्ठ बैच के योग्य अधिकारी है।  उस सूची में सभी योग्य अधिकारी थे.कोई  विशेष बात नहीं थी ,सात को तो निराश होना ही था। जावीद जी का चयनित नं होना जावीद जी के लिए शायद विशेष बात थी। अगले ही दिन जावीद जी ने अपना बयान दिया कि उन्हें 'M' यानि मुसलमान होने के कारण नहीं चुना गया।  और जो छह अन्य अधिकारी थे।,ने कोई बयान नहीं दिया।  आइये अब इस बयान का विश्लेषण करते हैं।

१. चुनाव का समय है तो बीजेपी मुसलमानों के वोट पाने के लिए और  मुसलमानों को ख़ुश करने के लिए उन्हें ही चुनेगी। जैसा काम पिछली उत्तर प्रदेश सरकार (अखिलेश यादव ) किया था। अतः वह पूर्ण रूप से आश्वस्थ थे कि चयन तो उन्ही का होना है , सो बहुत हताश हुए और हताशा में मन की बात निकल गयी।

२. जावीद जी यह मानकर चल रहे हैं कि केंद्र में अब मिलीजुली सरकार बनेगी तो अन्य सभी राजनीतिक दलों (जो दलदल  ही रहेंगे) को यह सन्देश दे रहे थे कि हमारे ऊपर भी बड़ा दाँव लगा सकते हैं।

३. शायद जावीद जी की इच्छा भी राजनीति में आने की है/थी  और प्रधानमंत्री बनने की भी।  इसमें कुछ गलत भी नहीं है क्योंकि जब 23 लोग प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं तो 24 वें को गलत नहीं कह सकते। लोकतंत्र की यही महिमा है कि कोई भी प्रधानमंत्री बनने की इच्छा रख सकता है।
वैसे तो मैं भी यह इच्छा रख सकता था लेकिन रखता नहीं क्योंकि सच्चाई से परिचित हूँ, हाँ जावीद जी अभी भी बहुत ऊँचे पद पर हैं एम्बेस्डर सऊदी अरब में तो ऐसी इच्छा रखना गलत भी नहीं है। विषय से न भटकते हुए

अब वापस उसी विश्लेषण पर आते हैं - क्या जावीद जी, आप  यह बताने की कृपा करेंगे कि अखिलेश सरकार ने 6 अधिकारियों की वरिष्ठता को नकार कर आपको DG पुलिस , उत्तर प्रदेश क्यों बनाया ? मैं आपको बताता हूँ क्योकि आप मुसलमान हैं  और अखिलेश सरकार खुल्लम खुल्ला मुसलमानो का पक्ष लेती है। जावीद जी भी उतने ही योग्य थे जितने अन्य , अब आपने ये मुगालता पाल लिया कि  आप ज्यादा योग्य हैं और आपने समूची भारतीय पुलिस सेवा की चयन प्रक्रिया पर ही प्रश्न खड़ा कर दिया। आप अपने इस वक्तव्य के लिए सीधे सीधे अनुशासनहीनता के दोषी हैं (I.P.S code of conduct पढ़िए ) , आपने 36 साल की सेवा पर पानी फेर दिया। अब तो यह भी देखा जाना चाहिए कि  आपकी पूरी सेवा पक्षपातपूर्ण तो नहीं थी और अगर  नहीं थी तो आपने ऐसा वक्तव्य किसके प्रभाव में आकर दिया और इससे आपको क्या क्या लाभ मिल सकते हैं। आप भारत से बाहर एक मुस्लिम देश में नियुक्त हैं तो आप बाहरी देश के प्रभाव में भी यह वक्तव्य दे सकते हैं तब आप देशद्रोही की श्रेणी में आते हैं। आपने अपनी महत्वाकांक्षा के आगे प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और मुख्य न्यायाधीश सभी को पक्षपाती कहने में कोई संकोच नहीं किया। जावीद जी क्या आप ये साबित कर पाएंगे कि उन आठ प्रतिभागियों में आप सबसे ज्यादा योग्य थे वो भी सिर्फ इसलिए कि आप एक मुसलमान हैं। अगर ऐसा लगा तो आपको तुरंत त्यागपत्र दे देना चाहिए था। लेकिन आप पद पर विराजमान हैं। आप ये भी सन्देश देना चाह रहे हैं कि भारत सरकार मुसलमानों को महत्वपूर्ण पदों पर नहीं रखना चाहती क्योंकि   पक्षपात



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